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NSG में भारत का दावा मजबूत, इस ग्रुप का सदस्य बना भारत

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भारत अब ऑस्ट्रेलिया ग्रुप का मेंबर बन गया है। यह ग्रुप केमिकल और बायलॉजिकल एजेंट्स के निर्यात पर अपने नियंत्रण के जरिए सुनिश्चित करता है कि इससे रासायनिक या जैविक हथियार न बन सके। उम्मीद की जा रही है कि इस उपलब्धि से अप्रसार में भारत की दुनिया में हैसियत बढ़ेगी। इसके साथ ही न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में सदस्यता के लिए भी भारत की दावेदारी मजबूत होगी, जिसमें चीन अड़ंगा लगा रहा है।

ऑस्ट्रेलिया ग्रुप एक अनौपचारिक संगठन है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश पहले से हैं। अमेरिका और फ्रांस काफी पहले से भारत को इस ग्रुप का मेंबर बनाने की वकालत कर रहे थे। सैन्य इस्तेमाल की संभावना वाले आइटम्स में भारत से सबसे ज्यादा निर्यात होने वाला आइटम केमिकल है, लेकिन यहां इस पर नजर रखने की भी तगड़ी व्यवस्था है। अब ग्रुप में एंट्री मिलने से भारत को केमिकल और बायलॉजिकल एजेंट्स के वैश्विक कारोबार में दखल का मौका मिलेगा। भारत में फ्रांस के राजदूत अलेक्जेंडर जेगलर ने शुक्रवार को भारत को बधाई देते हुए इसे भारतीय डिप्लोमैसी की उपलब्धि बताया है।

पिछले साल दिसंबर में भारत वासेनार अरेंजमेंट का मेंबर बना था। इस अरेंजमेंट का मकसद पारंपरिक हथियारों के साथ उन वस्तुओं और तकनीकों के प्रसार में पारदर्शिता और जिम्मेदारी लाना है, जिनका सैन्य इस्तेमाल हो सकता है। 2016 के जून में भारत मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का मेंबर बना था जो मिसाइल, यूएवी और संबंधित तकनीक के प्रसार पर नजर रखता है। इसका मेंबर बनने से भारत को उच्च मिसाइल तकनीक हासिल करने का रास्ता साफ हुआ था।

अब भारत को 48 सदस्य देशोंवाले न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में एंट्री का इंतजार है। भारत की मेंबरशिप पर चीन इस बहाने ऐतराज करता है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर साइन नहीं किए हैं, जबकि भारत इस संधि को भेदभावपूर्ण मानता है। असल में चीन चाहता है कि न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में पाकिस्तान को भी शामिल किया जाए।

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